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Showing posts from October, 2019

चिट्ठी तुम्हारे लिए: भाग-एक

#चिट्ठी_तुम्हारे_लिए                            [भाग-एक] हे भाग्यशनि,               तुम्हारी दिव्यता को प्रणाम (मजबूरी में)। आशा है कि तुमने करवा-चौथ का व्रत नहीं रखा होगा। और हे कलखुसरी से शरीर की स्वामिनी, तुम कोई भी व्रत रखना भी मत। चूँकि मेरी माँ पहले ही बहुत सारे खरजितिया का व्रत कर चुकी है तो मैं सौ साल तक के करार पर हूँ। आगे क्या बताऊँ। बस खोज में हूँ, उस इंसान की, जो कहता था कि सिंगल ही बहुत अच्छे हो। चरण छू लेने का मन करता है उनके। उस समय तो लगता था कि खामख्वाह में भाषण दे रहे हैं लेकिन सच कह रहे थे। मैं भी अपने से छोटों को यही सलाह देता हूँ और यह भी जानता हूँ कि वह भी मेरी इस सलाह को भाषणबाजी समझ रहे होंगे। सोचता था कि किसी से प्यार होगा, साथ बैठकर पूरी रात चाँद निहारेंगे, रोज बगीचे में बैठकर ढ़ेर सारी बातें करेंगे, तुम्हारी पलकों पर कविताएँ लिखूँगा, तुम्हारी बाँहों के आलिंगन म...

भारत के बहादुर लाल "शास्त्रीजी"

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   भारत के बहादुर लाल "शास्त्रीजी"                       दो अक्तूबर का दिन भारत के इतिहास के अतिविशिष्ट गौरवशाली दिनों में से एक है। इस दिन ही आधुनिक भारत के इतिहास एवं राजनीति के दो अमूल्य रत्नों का जन्म हुआ था, महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्रीजी। कुछ लोग अच्छा भी कहते हैं वहीं कुछ लोग बुरा भी कहते हैं। बुरा बोलने वाले की गिरेबान पकड़ने वाले भी बहुत आ जाते हैं। और तो और जिस पार्टी के प्रमुख नेता एवं अधिकतर कार्यकर्ता प्रबल विरोध करते हैं, उस पार्टी के सुप्रीमो एवं राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को भी न चाहते हुए भी शीश नवाना पड़ता है। इस तरह अपनी हत्या के सात दशक बाद भी गांधीजी प्रासंगिक हैं। वहीं आधुनिक भारत के आर्थिक सुधार की नींव रखने वाले शास्त्रीजी अपने आकस्मिक मृत्यु/प्रायोजित हत्या या रहस्यमयी देहांत के पाँच दशकों में ही प्रसंग में भी नहीं हैं। Pc:- Amar Ujala   ★अधिकारिक जीवनी ( संक्षेप में ):                    02 अक्टूबर 1904 को, अपने नाना के घर, मुगल...