उम्मीद
◆ उम्मीद ◆ लड़का मॉल में अपने काम की दो-तीन जींस बटोर कर शर्ट के स्टॉर की तरफ जा ही रहा था कि उसे परफ्यूम के स्टॉल पर बहुत ही जाना-पहचाना और सबसे पसंंदीदा चेहरा दिखा। क्षणभर को उसे लगा कि यह उसका भ्रम है लेकिन जल्दी ही ऐहसास हो गया कि सच में वही चेहरा है और वही लड़की है। अभी वह उधेड़बुन में ही था जाकर मिले या न मिले। कभी सोचता कि जाकर हालचाल पूछ आऊँ फिर सोचे कि क्यों व्यर्थ ही दिमाग खपाऊँ। इसी सोचने के दौरान लड़की की नजर पड़ गई। वह तो पहले की ही तरह बेधड़क थी बिना कुछ सोचे आ गई। उसे आते हुए देखकर लड़के ने मन में कहा, "बेड़ा गर्क।" "तुम यहाँ! कैसे हो?", लड़की ने आते ही कहा। "हाँ मैं यहाँ। कोई दिक्कत है क्या मेरे यहाँ होने से!", लड़के ने अनमना सा जबाब दिया। "मुझे क्यों दिक्कत होने लगी! यूँ ही पूछ दिया यार। ये बताओ कैसे हो?" "शर्ट लेने आया हूँ। तुम कैसी हो?", लड़के ने हमेशा की तरह "कैसे हो" वाला सवाल टाल दिया। "मैं भी परफ्यूम लेने आई हूँ।", इस बार लड़की ने भी टाल दिया। "सवाल टा