माता-शिवेश संवाद
#माता_शिवेश_संवाद
आज कलशस्थापन के बाद प्रसाद खाकर, चढ़ा हुआ पान चबाते हुए द्वार पर टहल रहा था कि धरती से बीस फीट की ऊँचाई पर माँ दुर्गा अपनी प्रथमावतार माँ शैलपुत्री के साथ गुजरती दिखी। मैं दोनों को आवाज लगाया और प्रणाम किया। दोनों ने आशीष दिया। फिर माँ दुर्गा ने पूछा, "और सुनाओ बाबू क्या सब चल रहा है?"
मैंने बताया, "भोर से उठापटक शुरू हो गई थी घर की लिपाई की गई, बारिश कुछ ज्यादा ही जोर है तो आँगन की लिपाई स्थगित कर दी गई। आज से प्याज-लहसुन बंद है, सेंधा नमक चालू है।"
"अरे मेरे बच्चे को इतनी परेशानी हो रही है। बड़े अफसोस की बात है।" माता शैलपुत्री ने चुटकी ली।
"परेशानी लहसुन-प्याज के बिना होती तो है लेकिन खाने में नहीं बल्कि खाना बनाने में और चूँकि घर पर खाना तो दीदी बनाती हैं तो इस मामले में कोई विशेष दिक्कत नहीं है। बात रही सेंधा नमक की तो डॉक्टर साहब भोपाल वाले भी लिखते हैं कि प्राकृतिक नमक ही सर्वश्रेष्ठ है। तो इट्स कूल।" मैंने कहा।
आज कलशस्थापन के बाद प्रसाद खाकर, चढ़ा हुआ पान चबाते हुए द्वार पर टहल रहा था कि धरती से बीस फीट की ऊँचाई पर माँ दुर्गा अपनी प्रथमावतार माँ शैलपुत्री के साथ गुजरती दिखी। मैं दोनों को आवाज लगाया और प्रणाम किया। दोनों ने आशीष दिया। फिर माँ दुर्गा ने पूछा, "और सुनाओ बाबू क्या सब चल रहा है?"
मैंने बताया, "भोर से उठापटक शुरू हो गई थी घर की लिपाई की गई, बारिश कुछ ज्यादा ही जोर है तो आँगन की लिपाई स्थगित कर दी गई। आज से प्याज-लहसुन बंद है, सेंधा नमक चालू है।"
"अरे मेरे बच्चे को इतनी परेशानी हो रही है। बड़े अफसोस की बात है।" माता शैलपुत्री ने चुटकी ली।
"परेशानी लहसुन-प्याज के बिना होती तो है लेकिन खाने में नहीं बल्कि खाना बनाने में और चूँकि घर पर खाना तो दीदी बनाती हैं तो इस मामले में कोई विशेष दिक्कत नहीं है। बात रही सेंधा नमक की तो डॉक्टर साहब भोपाल वाले भी लिखते हैं कि प्राकृतिक नमक ही सर्वश्रेष्ठ है। तो इट्स कूल।" मैंने कहा।
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तब तक दोनों नीचे आ गई थीं मैं दौड़कर दो कुर्सी ले आया तो उन्होंने कहा कि अपने लिए नहीं लाए तो मैंने कहा कि आपके सामने कैसे बैठूँ।
"ज्यादा हो रहा है बऊआ, उतनी ही इज्जत दो, जितनी झजे। अति ऑलवेज वर्ज्यते पुत्र।" माँ दुर्गा ने कहा।
मैं हल्का सा मुस्कुराया और कहा, "माँ जब आप कण-कण में हो, क्षण-क्षण में हो तो किसी विशेष तिथि को यह पूजा कितनी प्रासंगिक है अथवा आवश्यक है। केवल नॉलेज परपस से पूछ रहा हूँ गुस्साईएगा नहीं।"
"गुस्साने की कोई बात नहीं है, जैसे तुम्हारे लिए तुम्हारे माता-पिता हैं, वैसे ही हम हैं संसार के लिए। अगर तुम उनका कहा मानते हो, उनका सम्मान करते हो तो उनकी वर्षगाँठ, वैवाहिक वर्षगाँठ आदि नहीं मनाने से भी कुछ बुरा प्रभाव नहीं होगा उनके हृदय पर। वहीं अगर तुम रोज उनका तिरस्कार करते हो एक दिन मदर्स डे, फादर्स डे अथवा पैरेंट्स डे पर स्टेटस, डीपी, पोस्ट की झड़ी लगा दो और शुभकामनाएँ दो, पार्टी आयोजित करो। यह सब दिखावा ही कहलाएगा।" माँ शैलपुत्री ने जबाब दिया।
"तो यह पूजा पाठ सब दिखावा ही है यही न, बस अच्छे कर्म करता चलूँ।" , मैंने अभी भी आदतन रूका नहीं था।
"तुम रोज उनका आदर करोगे तो अच्छी बात है, उन्हें अच्छा लगेगा। और किसी विशेष दिन उनके सम्मान के लिए कुछ आयोजित करोगे यह तो उन्हें विशेष खुशी ही देगी न। सीधी सी बात है पूजा न करो तो भी अच्छा ही और जों करो तो बहुत अच्छा है। समझ में आया बच्चे?" माँ दुर्गा ने विस्तार में समझाया था।
"बस एक बात और पूछ लूँ। ये लाउडस्पीकर तीव्र ध्वनि में पूजा के नाम पर अश्लील गाने अथवा भक्ति गाने भी बहुत अधिक ध्वनि में बजाना कहाँ तक तार्किक है।" , मैंने डरते हुए पूछा।
"अरे छोटे उस्ताद, पूजा शांत चित्त से होती है, ध्यान लगा कर होती है, फिर अगर माहौल भक्तिमय करने हेतु कोई अच्छे, स्वच्छ संगीत का सहारा लेता है तो ठीक है किन्तु संगीत में माधुर्य अत्यावश्यक है। कर्कश स्वर में, इर्दगिर्द में सभी को पीड़ित करते हुए सलिल अथवा अश्लील कोई भी संगीत बजाना गलत है।" , माँ दुर्गा ने यूँ देखा ज्यों पूछ रही हो कि और कुछ पूछना है।
"भोपाल वाले डॉक्टर साहब कहते हैं कि सिगरेट और बीड़ी के धुएँ से ज्यादा घातक धुआँ अगरबत्तियों का होता है।", मैंने अंतिम प्रश्न किया।
"तो अगरबत्ती जलाना छोड़कर सिगरेट मत जलाने लगना। और उन्होंने यह भी तो कहा था न कि प्राकृतिक वस्तुएँ सर्वश्रेष्ठ हैं। धूमन-धूप, चंदन इन वस्तुओं का उपयोग करो।", दुर्गा माँ ने जबाब देकर मेरी ओर देखा और मुझे संतुष्ट पाकर चलने को हुई।
मैंने पूछा, "कहीं क्रुद्ध तो नहीं हो गई न आप।"
उन्होंने उत्तर दिया, "स्मरण रखो जहाँ सवाल है वहाँ संवाद और जहाँ बवाल है वहाँ संहार है।"
मैंने फिर दोनों को प्रणाम किया। दोनों विदा हुईं।
"उठि जो बऊआ, भोर भ' गेले। घ'र निपा जते त' निकलि नहि पईभी।"
[उठ जाओ बाबू, सुबह हो गई। घर में लिपाई हो जाएगी तो निकल नहीं पाओगे।], मम्मी की आवाज कानों में पड़ी और मैं उठ कर बाहर आकर अँँगेठी करने लगा।
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By- शिवेश आनन्द
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