लटकन फुदना - भाग-एक


लटकन फुदना : भाग - एक

''साले आज भी खाली हाथ लौट आए हो।'' ''तो हाथ अमूल का लस्सी लिए आते।'' ''अरे हमरे कहने का मतलब था कि नाम वाम पूछे कि नहीं।'' ''किलास में नाम पूछें हम मरवाओगे का बबुआ हमको।'' ''हां भाई नाम पूछे से उ तुमको मारने लगेगी ना ओसामा की बहिन है का।'' ''हम उससे थोरे डरते हैं डर है तो राहुल सर का।'' ''का करेंगे सर उनको पता थोरे चलेगा।'' ''अगर पता चल गया तो परबत्ती चौक पर लटका देंगे।'' ''तुम तो इतना डरबे करते हो कि, अरे भाई प्यार में रिस्क तो लेना ही पड़ेगा।'' ''केतना बार बताएं कि हम प्यार व्यार नैय करते हैं।'' ''तब का फलतुए में बौला हो रहे हो।'' ''अरे बस थुड़की सा एफिनीटी बुझाता है।'' ''फक बकैत कहीं का और हां ई जो तुम दिव्या भारती के तरह शर्माते हो मत किया करो एकदम कपिल शर्मा शो के रिंकू भाभी के तरह लगते हो।'' ''अच्छा कल जाएंगे हम नाम पूछने और अगर हम नाम पूछ लिए तो आनन्द मेस में तुम्हरे तरफ से पार्टी‌। का बोलते हो।'' ''ठीके है।'' --------------- अगले दिन:- ''का हुआ रे नाम तो नहिंए पूछा होगा डरपोक।'' ''साला भलाई का जमाने नैय है इसका पैसवा भी बचा दिए और ईहे हमको गरिया रहा है। भला करअ आ भीत्तर जा।''
By:- शिवेश आनन्द

Comments

  1. वाह शिवेश जी क्या लिखा है आपने

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

भारत के बहादुर लाल "शास्त्रीजी"

ओल ने अंग्रेज को ओला