नीतीश कुमार
#बिहार_में_बहार_है_नीतीश_का_गुंडाराज_है
★नीतीश कुमार★
नीतीश कुमार बिहार के मुखमंडल पर पड़ा हुआ वह पंद्रह साल पुराना कचड़ा है, जिसकी दुर्गंध से आने वाली कितनी ही सामाजिक एवं राजनैतिक पीढ़ियाँ उल्टी करते हुए, बीमार होती रहेंगी। इन्होंने शिक्षा व्यवस्था को गर्त की उस खाई में ढ़केला है, जहाँ से इसे उठा कर धरा पर रखने में आने वाली सुलझी तथा ईमानदार सरकारों को भी अपने पूरे कार्यकाल का बलिदान देना होगा। क्योंकि शिक्षा के पूरे तंत्र को कंकाल तंत्र बना छोड़ा है इस स्वघोषित सुशासन बाबू ने। आज हमें आवश्यकता है शिक्षा में प्रचुर निवेश करने की, इससे विकास दर में भी बहुत अधिक ह्रास आएगा। तत्कालीन सरकार की चहुँओर थू थू होगी। पूर्णबहुमत वाली सरकार तो पाँच साल टिक भी जाए लेकिन अल्पबहुमत अथवा अर्दधबहुमत वाली सरकार तो कार्यकाल से पहले ही धराशायी हो जाएगी। तो इस आत्मघाती कदम को उठाने से पहले कोई भी सरकार सोचेगी।
भावी सरकारों की चुनौतियों की चिंता छोड़ भी दें तो इन काले दस + पंद्रह वर्षों में जो बिहार के मुँह पर कालिख पुती है, इसके प्रभाव से प्रदर्शन में बहुत अधिक ह्रास आएगा। इन सबके बीच शिक्षा के प्रति हम इस तरह उदासीन होते जा रहे हैं कि कोई भी हमें नीतीश को विकास एवं सुशासन के मुद्दे पर गरियाता हुआ मिल जाए तो तुरंत हम कोटा से मिल रहे राशनकार्ड, मिट्टी तेल, चावल, चीनी इत्यादि की दुहाई देते हुए कहते हैं कि नीतीश ने हमारे लिए इतना सबकुछ किया है। हमें इंदिरा आवास मिला है, बच्चों को स्कूलों में खाना मिल रहा है। हम इस तरह बेवकूफी के सागर में अपनी बुद्धि बहा चुके हैं कि हमें विकास और भीख का अंतर नहीं पता है। आजादी के इतने सालों के बाद भी हमें कोटे से मिल रहे खाद्यान्नों एवं ईंधन पर निर्भर रहना पड़ रहा है। रसातल में पहुँच चुकी शिक्षा, ठप्प पड़े हुए चीनी एवं पेपर मिल, प्रशासन की उदासीनता के कारण हर साल आ रहे बाढ़ इन सब बातों पर चर्चा करना भी बेमानी समझते हैं।
और हाँ बीच-बीच में हम यह तर्क भी देते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े करार किये जा रहे हैं जबकि बात ऐसी है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अथवा आंतरिक सुरक्षा स्तर पर कुछ भी किया जाता है या फिर नहीं किया जाता है, यह छुपा हुआ ही रहता है। मोदीजी ने ट्रंप से क्या कहा यह तो मोदीजी और ट्रंप ही जानें, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कितने सर्जिकल स्ट्राइक करवाये यह तो एजेंसियाँ ही जानें। हम फालतू में चौधरी बनने लगते हैं कि ये नहीं हुआ था ये हुआ था। ये सब हो रहा है या नहीं इसका पता नहीं। हो यह रहा है कि हमारा प्रदर्शन संघ लोक सेवा आयोग (UPCS), संयुक्त सैन्य सेवा (CDS), अन्वेषण, कृषि, वैश्वीकरण में घटता जा रहा है। किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं, पलायन बदस्तूर जारी है। कृषि जीर्ण हो रही है, उत्पादन घट रहा है, गड्ढों में सड़कें हैं, शराबपूर्ण शराबबंदी के बाद शराब, गाँजा, कॉरेक्स इत्यादि जहरों की तस्करी एक नया व्यवसाय हो गया है। अपराध अपने चरम पर है।
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नीतीश ज्यों कह रहे हों कि मैं तो जो मर्जी वही करूँगा तुम पकड़ो घंटा |
और हाँ बीच-बीच में हम यह तर्क भी देते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े करार किये जा रहे हैं जबकि बात ऐसी है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अथवा आंतरिक सुरक्षा स्तर पर कुछ भी किया जाता है या फिर नहीं किया जाता है, यह छुपा हुआ ही रहता है। मोदीजी ने ट्रंप से क्या कहा यह तो मोदीजी और ट्रंप ही जानें, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कितने सर्जिकल स्ट्राइक करवाये यह तो एजेंसियाँ ही जानें। हम फालतू में चौधरी बनने लगते हैं कि ये नहीं हुआ था ये हुआ था। ये सब हो रहा है या नहीं इसका पता नहीं। हो यह रहा है कि हमारा प्रदर्शन संघ लोक सेवा आयोग (UPCS), संयुक्त सैन्य सेवा (CDS), अन्वेषण, कृषि, वैश्वीकरण में घटता जा रहा है। किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं, पलायन बदस्तूर जारी है। कृषि जीर्ण हो रही है, उत्पादन घट रहा है, गड्ढों में सड़कें हैं, शराबपूर्ण शराबबंदी के बाद शराब, गाँजा, कॉरेक्स इत्यादि जहरों की तस्करी एक नया व्यवसाय हो गया है। अपराध अपने चरम पर है।
लेकिन आपको क्या, आप खुश हो जाईए कि मोदीजी लगातार सभी देशों के सर्वोच्च सम्मान हथिया रहे हैं, जम्मू एवं कश्मीर के धारा 370 में संशोधन कर दिया गया है, हम चाँद और मंगल पर पहुँच चुके हैं।
मुस्कुराईए कि मोदी का राज है।
मुस्कुराईए कि मोदी का राज है।
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