लटकन फुदना - भाग-दो


लटकन फुदना : भाग - दो

"का हो बौआ काहे बिन तेल के ललटेन जईसन बुझाए हो।" "कुच्छौ मनैती अपने मन से किए जा रहे हो। हम काहे बुझल रहेंगे।" "हम का जाने किलास में कुच्छौ हुआ होगा।" "किलास में कांड हो गया आज।" "कुन ची कांड हुआ बताओ तो ।" "आज राहुल सर हमरा लुटिया डुबा दिए।" "का हुआ किलास तुम्हरा इंसलटी किए का।" "अरे नहीं बे ऊ बात नैय है।" "तो बतलाएगा का हुआ कि ऐसहिएँ गोल जलेबी बनाएगा।" "उ लड़की है ना ..….अरे ऊहे।" "जिससे तुमको एफिनीटी बुझाता का हुआ उसको।" "सर आज खड़ा किए उसको और तीन चार सवाल किए एकदम बैक टू बैक।" "का हुआ उ जबाब दी।" "कपाड़ जबाब देगी सोशल कीड़ा से फुरसत कहाँ है उसको।" "तब का हुआ ।" "तब सर हमको खड़ा किए और वही तीनो सवाल हमसे पूछ दिए।" "का हुआ तुम भी जबाब नहीं दिए।" "अरे तभी हमको पता नहीं था सर बेचारी को बेइज्जत करने वाले हैं नहीं तो जबाब नहीए देते।" "तो जबाब दे दिए।" "हां दे तो दिए बहुत आसानी से उसके बाद सर उसको बोले इसे को देखो और खुद को,कुछ सीखो पढाई से सरोकार ही नहीं है पूरा दिन क्लास में बकती रहती है बस।" "अरे ई तो तुम्हरा शूटआउट हो गया रे।" "और सबसे खास बात पहली बार उ हमको देखी,आंख से मिसाईल छोड़े जा रही थी यार हम तो शहीद हो गए।" "देखो बबुआ अब एक्को परसेंट उम्मीद छोड़ दो कि अब कभी उ तुमको कनियो सा भाव देगी।" "नैय रे थोड़ा लेट होगा लेकिन होगा जरुर।" "ठीके है बेटा देखते हैं कहिया होता है चलो अब मेस में खाना खाने नैय तो भूखले रहना पड़ेगा।" "चलो।"
By:- शिवेश आनन्द

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