लटकन फुदना - भाग-तीन



लटकन फुदना : भाग - तीन

"का रे बबुआ ई बताओ बुड्डा(मकान मालिक) काहे टेंशनिया रहा था तुमपे" "बस ऐसहिए ओकर आंति उछल रहा था इहे ले चिचिया रहा था ।" "देखो जहाँ तक हम समझते तुम जरूर कउनो कांड किए होगे।" "कुच्छो खास नैय किए थे बस रात में पूरे लॉज का बिजली काट दिए थे।" "पूरे लॉज का बिजली काट दिए और बोलते हो कुच्छौ खास नैय किए।" "अरे उ तो बस हम मोटका को सिखा रहे थे लाईन कैसे काटा जाता है।" "हद बकचोन्हर हो यार तुम भी, अपना कुच्छौ जानते ही नहीं बिजली के बारे में दूसरे को सिखा रहे थे।" "कतनो जानेंगे ना तो तुमसे जादे जानेंगे समझा।" "हां गुरु हमसे ज्यादे जानते हैं आप तो क्या लाईन काटते घूमिऐगा। और सिखा ही रहे थे तो ऑफ करके ऑन कर देते ना तुरंत।" "ऑन करने ही वाले थे कि बुड्डा(मकान मालिक) का मनहूस चेहरा दिमाग में आ गया।" "तुमको बुड्डा से इतना खुन्नस काहे रहता तुम्हरा कोनौ खेत-वेत कोर दिया है उ का।" "अरे उ रावण है रावण लॉज का भाड़ा कितना जादा लेता ई नैय देखते हो।" "जादे लेता है तो क्या लॉज भी जबरदस्त है ना ।" "जबरदस्त काहे नैय लगेगा तुमको मैडम जी का घर जो बगले में है छत पे चढ़ जाओ और लवरसटकी करे लगो।" "तुमको काहे ईशु हो रहा है हमरे बात करने से।" "करो बेटा अच्छी बात है, लेकिन अब चलो शाम हो गई पढ़ाई करने नैय तो कल किलास में ईशु हो जाएगा।" "चलो।"
By:- शिवेश आनन्द

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