लंबी मुलाकात
मैं उससे गुस्सा था या वह मुझसे गुस्सा थी या फिर आपसी झगड़ा था या फिर आपसी सहमति थी लेकिन जो भी हो बात यह थी कि कुछ दिनों से हमारी बातें नहीं हो रही थी। आज अचानक से उसका मैसेज आया, "कहाँ हो।"
मैंने जबाब दिया,"बी एन कॉलेज के पास आया हूँ।"
उसने बताया कि वह PMCH आ रही थी।
फिर वह बी एन कॉलेज (जो कि PMCH से पहले ही है) के पास ही ऑटो से उतर गई। मेरा भी काम हो गया था और मुझे भी PMCH के पास से ही ऑटो
मैंने जबाब दिया,"बी एन कॉलेज के पास आया हूँ।"
उसने बताया कि वह PMCH आ रही थी।
फिर वह बी एन कॉलेज (जो कि PMCH से पहले ही है) के पास ही ऑटो से उतर गई। मेरा भी काम हो गया था और मुझे भी PMCH के पास से ही ऑटो
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पकड़नी थी। तो फिर हम दोनों पैदल ही वहाँ के लिए निकले। रास्ते में इधर-उधर की बातें हो रही थीं। उसकी बातों से जाहिर था कि आज वह थोड़ा पहले ही निकल गई थी तो मैं थोड़ी देर कहीं रूक कर बात कर सकता था लेकिन मुझे पूछना अच्छा नहीं लगा। इन्हीं बातों के दौरान उसने बताया, "मेरी सगाई हो गई है लेकिन आज सगाई वाली अँगूठी नहीं पहनी है।"
मैंने हँसकर टाला तो वह सुबूत के तौर पर चूड़ियाँ दिखाने लगी। फिर मैंने सोचा कि ये मुझे इतना बड़ा बेवकूफ समझती है क्या। खैर इन्हीं बातों में वह अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी और मुझे भी ऑटो मिल गई। इस तरह अब तक की सबसे लंबी यानि पाँच मिनट अट्ठाईस सेकेंड की मुलाकात खत्म हो चुकी थी। यह शायद पाँचवीं या छठी मुलाकात रही होगी। खैर आज पहली बार उसके चेहरे को अच्छे से देखने की मुराद पूरी हुई।
[Note:- यादों की बकथेथरी पूर्णतः काल्पनिक है अतः अन्यथा न लें। मैं अभी भी अखण्ड सिंगल हूँ।]
मैंने हँसकर टाला तो वह सुबूत के तौर पर चूड़ियाँ दिखाने लगी। फिर मैंने सोचा कि ये मुझे इतना बड़ा बेवकूफ समझती है क्या। खैर इन्हीं बातों में वह अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी और मुझे भी ऑटो मिल गई। इस तरह अब तक की सबसे लंबी यानि पाँच मिनट अट्ठाईस सेकेंड की मुलाकात खत्म हो चुकी थी। यह शायद पाँचवीं या छठी मुलाकात रही होगी। खैर आज पहली बार उसके चेहरे को अच्छे से देखने की मुराद पूरी हुई।
[Note:- यादों की बकथेथरी पूर्णतः काल्पनिक है अतः अन्यथा न लें। मैं अभी भी अखण्ड सिंगल हूँ।]
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